Chemistry

Content Based Experiment of Surface Chemistry in Hindi Medium

Content Based Experiment

(1) पृष्ठ रसायन (Surface chemistry)

पदार्थ के पृष्ठ (Surface) के कारण उत्पन्न गुणो का अध्ययन पृष्ठ रसायन में किया जाता है।

इसमें मुख्यतयाः अधिशोषण , उत्प्रेरण एंव कोलाइड आदि है।

दो अवयवो का विषमांगी मिश्रण जो स्थाई है अर्थात् गुरूत्वाकर्षण के कारण अवसादित नही होता है, टिण्डल प्रभाव, ब्राउनी गति, वैधुत कण संचलन जैसे गुण दर्शाता है इसे कोलाइड कहते है ।

कोलाइड को द्रव रागी एंव द्रवविरागी में वर्गीकृत किया जा सकता है। इस अध्याय में कुछ द्रव रागी एंव कुछ द्रवविरागी कोलाइड बनाना, टिण्डल प्रभाव व वैद्युतकण संचलन का प्रायोगिक अध्ययन करेंगें

(अ) द्रव रागी कोलाइड (Lyophillic Colloid)

इसमें परिक्षिप्त अवस्था (dispersed phase) एवं परिक्षेपण माध्यम (Dispersion medium) के मध्य आकर्षण बल पाया जाता है एवं ये आसानी से मिश्रित की जा सकती है। जैसे -गोंद का हाइड्रोसॉल आदि ।

प्रयोग – 1

उद्देश्य:- अरेबिक गोंद का हाइड्रोसॉल बनाना ।

सिद्धांत: – अरेबिक गोंद का हाइड्रोसॉल एक द्रव रागी कोलाइड है। इसमें गोंद ठोस अवस्था में एंव जल द्रव अवस्था में होता है। परिक्षेपण माध्यम जल है तथा परिक्षिप्त अवस्था गोंद है।

गोंद वृहद् कार्बनिक अणु है अतः यह वृहद अधिक कोलाइड भी है । कण का आकार 10-9 से 10-6 m के मध्य होता है।

उपकरण – दो बीकर 250 मिली, मापक सिलेंडर, पिपेट, कांच की छड़, बर्नर, त्रिपद स्टेण्ड, वायर गॉज, थर्मामीटर, निस्यंद पत्र, कीप आदि।

रसायन – अरेबिक गोंद, आसुत जल।

विधि –

1. एक 250 मिली के बीकर में 100 मिली आसुत जल लेकर 350C से 450C तक गर्म करते है।

2. इसमें 250 मिली के बीकर में 5 ग्राम अरेबिक गोंद का चूर्ण लेकर 10 मिली गर्म आसुत जल में पेस्ट बनाते है।

3. इस पेस्ट को गर्म आसुत जल में धीरे- धीरे मिलाकर विलोपित करते है।

4. प्राप्त मिश्रण को 10 मिनट तक पुनः गर्म करते है । अब मिश्रण को निस्यंद पत्र की सहायता से छान लेते है।

5. प्राप्त छनित गोंद का हाइड्रोसॉल है।

परिणाम – अरेबिक गोंद का हाइड्रोसॉल बनाया गया ।

प्रयोग – 2

उद्देश्य – स्टार्च का हाइड्रोसॉल बनाना ।

सिद्वान्त – स्टार्च का हाइड्रोसॉल एक द्रवरागी कोलाइड है। इसमें स्टार्च ठोस अवस्था में है एंव जल द्रव अवस्था में होता है। परिक्षेपण माध्यम जल है तथा परिक्षिप्त अवस्था स्टार्च है।

स्टार्च वृहद् कार्बनिक अणु है (C6H10O5)n यहां n > 50,000 है। अतः यह वृहद आण्विक कोलाइड भी है। कण का आकार 10-9 से 10-6 m के मध्य होता है।

उपकरण – दो बीकर 250 मिली, मापक सिलेण्डर, पिपेट, कांच की छड, बर्नर, त्रिपद स्टेण्ड, वायर गॉज, थर्मामीटर, निस्यंद पत्र, कीप आदि ।

रसायन – स्टार्च, आसुत जल आदि ।

विधि –

1. एक 250 मिली के बीकर में 100 मिली आसुत जल लेकर 350C से 650C तक गर्म करते है।

2. दूसरे 250 मिली के बीर में 5g स्टार्च पावडर को 10 मिली आसुत जल में मिलाकर पेस्ट बनाते है।

3. इस पेस्ट को गर्म आसुत जल में धीरे-धीरे मिलाकर विलोपित करते है।

4. प्राप्त मिश्रण को 10 मिनिट तक 600C से 650C पर पुनः गर्म करते है। अब मिश्रण को निस्यंद पत्र से छान लेते है।

5. प्राप्त छनित स्टार्च का हाइड्रोसॉल है।

परिणाम – स्टार्च का हाइड्रोसॉल बनाया गया ।

प्रयोग – 3

उद्देश्य – अण्डएल्बुमिन का हाइड्रोसॉल बनाना ।

सिद्वान्त – अण्डएल्बुमिन का हाइड्रोसॉल एक द्रवरागी कोलाइड है। इसमें अण्डएल्बुमिन ठोस अवस्था में है एवं जल द्रव अवस्था में होता है।

परिक्षेपण माध्यम जल है तथा परिक्षिप्त अवस्था अण्डएल्बुमिन है। अण्डएल्बुमिन वृहद कार्बनिक सरंचना है। अतः यह वृहद आण्विक कोलाइड भी है। कण का आकार 10-9 से 10-6 m के मध्य होता है।

उपकरण – दो बीकर 250 मिली, मापक सिलेण्डर, पिपेट, कांच की छड, बर्नर, त्रिपद स्टेण्ड, वायर गॉज, थर्मामीटर, निस्यंद पत्र, कीप आदि ।

रसायन – अण्डएल्बुमिन , आसुत जल, सोडियम क्लोराइड आदि

विधि –

1. एक 250 मिली के बीकर में 100 मिली सोडियम क्लोराइड का 5 प्रतिशत (w/V) जलीय विलयन लेते है।

2. दूसरे 250 मिली के बीकर में एक अण्डा तोडकर अण्डएल्बुमिन को अण्डपीत से पृथक कर लेते है। अब अण्डएल्बुमिन का लगभग 5 ग्राम लेकर आसुत जल में धीरे धीरे मिलाकर विलोपित करते है।

3. प्राप्त मिश्रण को निस्यंद पत्र से छान लेते है।

4. प्राप्त छनित अण्डएल्बुमिन का हाइड्रोसॉल है।

परिणाम – अण्डएल्बुमिन का हाइड्रोसॉल बनाया गया ।

(ब) द्रव विरागी कोलाइड (Lyophobic Colloid)

इसमें परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम के मध्य अत्यन्त कम आकर्षण होता है अतः विशिष्ट विधियो द्वारा इन्हें मिश्रित किया जाता है। जैसे – जल अपघटन , पेप्टीकरण, परिक्षेपण आदि ।

प्रयोग – 4

उद्देश्य – फैरिक हाइड्रोक्साइड का हाइड्रोसॉल बनाना ।

सिद्वान्त – यह द्रव विरागी कोलाइड है। परिक्षेपण माध्यम द्रव अवस्था में जल है तथा परिक्षिप्त प्रावस्था ठोस अवस्था में फैरिक हाइड्रोक्साइड है। यहां फैरिक क्लारोइड को जल में घोलने पर जल अपघटन के कारण फैरिक हाइड्रोक्साइड का लाल अवक्षेप प्राप्त होता है।

FeCl3 + 3H2O → Fe(OH)3 + 3HCl

ताजा प्राप्त अवक्षेप में थोडा सा वैद्युत अपघट्य फैरिक क्लारोइड मिलाने पर पेप्टन या पेप्टीकरण के कारण फैरिक हाइड्रोक्साइड का धनावेशित लाल भूरा हाइड्रोसॉल बनता है।

Fe(OH)3 + FeCl3 → [Fe(OH)3]Fe3+ + 3Cl

उपकरण – बीकर – 250 मिली, वायर गॉज, त्रिपद स्टेण्ड, मापक सिलेण्डर 100 मिली, कांच की छड, कीप, निस्पंद पत्र आदि ।

रसायन – ठोस फैरिक क्लोराइड, आसुत जल आदि

विधि –

1. एक 250 मिली के बीकर में 100 mL आसुत जल लेकर उबालते है।

2. उबलते जल में 2 ग्राम फैरिक क्लोराइड का चूर्ण मिलाकर अच्छी तरह विलोपित करते है।

3. दूसरे बीकर में 10 मिली आसुत जल लेकर उबालते है। बूंद – बूंद कर इसे प्रयोग के विलयन में डालकर हिलाने पर भूरा- लाल सॉल प्राप्त होता है।

4. प्राप्त सॉल को निस्यंद पत्र की सहायता से छान लेते है। लाल-भूरी छनित्र ही फैरिक हाड्राक्साइड का हाइड्रोसॉल है।

परिणाम – फैरिक हाइड्रोक्साइड का हाइड्रोसॉल बनाया गया ।

प्रयोग – 5

उद्धेश्य – ऐलुमिनियम हाइड्रोक्साइड का हाइड्रोसॉल बनाना ।

सिद्धान्त – यह द्रव विरागी कोलाइड है। परिक्षैपण माध्यम द्रव अवस्था में जल है तथा परिक्षिप्त प्रावस्था ठोस अवस्था में ऐलुमिनियम हाइड्रोक्साइड है। यहां ऐलुमिनियम क्लोराइड को जल में घोलने पर जल अपघटन के कारण ऐलुमिनियम हाइड्रोक्साइड का श्वेत अवक्षेप प्राप्त होता है।

AlCl3 + 3H2O → Al(OH)3 + 3HCl

ताजा प्राप्त अवक्षेप में थोडा सा वैधुत अपघटय ऐलुमिनियम क्लोराइड मिलाने पर पेप्टन या पेप्टीकरण के कारण ऐलुमिनियम हाइड्रोक्लोराइड का धनावेशित सफेद हाइड्रोसॉल बनता है।

उपकरण – बीकर 250 मिली, वायर गॉज, बर्नर, त्रिपद स्टेण्ड, मापक सिलेण्डर 100 mL, कांच की छड, कीप, निस्पंद पत्र आदि

विधि –

1. एक 250 मिली के बीकर में 100 मिली आसुत जल लेकर उबालते है।

2. उबलते जल में 20 ऐलुमिनियम क्लोराइड का चूर्ण मिलाकर अच्छी तरह विलोपित करते है।

3. दूसरे बीकर में 10 मिली आसुत जल लेकर उबालते है। बूंद बूंद कर इसे प्रयोग के विलय में डालकर हिलाने पर श्वेत सॉल प्राप्त होता है।

4. प्राप्त सॉल को निस्यंद पत्र की सहायता से छान लेते है। लाल- भूरी छनित्र ही ऐलुमिनियम हाइड्रोक्लाइड का हाइड्रोसॉल है।

परिणाम – ऐलुमिनियम हाइड्रोक्साइड का हाइड्रोसॉल बनाया गया ।

प्रयोग – 6

उद्देश्य – आर्सेनिक सल्फाइड का हाइड्रोसॉल बनाना ।

सिद्धान्त – यह द्रव विरागी कोलाइड है। परिक्षेपण माध्यम द्रव अवस्था में जल है तथा परिक्षिप्त प्रावस्था ठोस अवस्था में आसेर्निक सल्फाइड है। यहां आर्सेनिक आक्साइड के जलीय विलयन में H2S गैस प्रवाहित करने पर द्विविस्थापन के कारण आर्सेनिक सल्फाइड का पीला अवक्षेप प्राप्त होता है।

As2O3 + 3H2S → As2S3 + 3H2O

ताजा प्राप्त अवक्षेप में H2S गैस अधिक समय तक प्रवाहित करने पर पेप्टन या पेप्टीकरण के कारण आर्सेनिक सल्फाइड का पीला रंग का ऋणावेशित हाइड्रोसॉल बनता है।

As2O3 + H2S → [As2S3]S2- + 2H+

उपकरण – बीकर 250 मिली , वायर गॉज, बर्नर, त्रिपद स्टेण्ड, मापक सिलेण्डर – 100 मिली, कांच की छड, कीप , निस्यंद पत्र आदि ।

रसायन – ठोस फैरिक क्लोराइड , आसुत जल आदि ।

विधि –

1. एक 250 मिली के बीकर में 100 मिली आसुत जल लेकर उबालते है।

2. उबलते जल में 0.2 ग्राम आर्सेनिक आक्साइड का चूर्ण मिलाकर अच्छी तरह विलोपित करते है।

3. प्रयोग – 2 के विलयन में H2S गैस प्रवाहित करने पर पहले पीला अवक्षेप प्राप्त होता है तथा अधिकता में प्रवाहित करने पर पीले रंग का सॉल प्राप्त होता है।

4. प्राप्त सॉल को निस्पंद पत्र की सहायता से छान लेते है। पीले रंग की छनित्र ही आर्सेनिक सल्फाइड का हाइड्रोसॉल है।

परिणाम – आर्सेनिक सल्फाइड का हाइड्रोसॉल बनाया गया ।

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