राजस्थान के प्रतीक चिह्न – राज्य की पहचान

राजस्थान के प्रतीक चिह्न

राज्य की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत की झलक

राज्य पुष्प – रोहिड़ा

रोहिड़ा को राज्य पुष्प का दर्जा 31 अक्टूबर, 1983 को दिया गया था।

वानस्पतिक नाम: टिकोमेला अन्ड्लेटा

इसे मरूस्थल का सागवान, मारवाड़ टीक तथा राजस्थान की मरूशोभा भी कहते हैं।

मुख्यत: पश्चिमी राजस्थान में पाया जाता है।

फूल खिलने का समय: चैत्र माह (मार्च-अप्रैल)

राज्य वृक्ष – खेजड़ी

खेजड़ी को राज्य वृक्ष का दर्जा 31 अक्टूबर, 1983 को दिया गया।

वानस्पतिक नाम: प्रोसोपिस सिनेरेरिया

इसे राजस्थान का कल्प वृक्ष, राजस्थान का गौरव भी कहते हैं।

खेजड़ली आंदोलन: 28 अगस्त, 1730 को अमृता देवी के नेतृत्व में 363 लोगों ने खेजड़ी वृक्षों की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।

प्रतिवर्ष 12 सितंबर को खेजड़ी दिवस मनाया जाता है।

राज्य पक्षी – गोडावण

गोडावण को राज्यपक्षी का दर्जा 1981 में दिया गया था।

वैज्ञानिक नाम: कोरियोटिस नाइग्रोसेप

अन्य नाम: हुकना, सोहन चिड़िया, माल मोरड़ी, गुरायिन

इसे शर्मिला पक्षी के नाम से भी जाना जाता है।

संरक्षण स्थिति: IUCN रेड डाटा बुक में दुर्लभ प्राणी की सूची में शामिल

मुख्य क्षेत्र: राष्ट्रीय मरू उद्यान (जैसलमेर-बाड़मेर), सोरसेन (बारां), सौंकलिया (अजमेर)

राज्य नृत्य – घूमर

घूमर नृत्य को राजस्थान की आत्मा तथा लोक नृत्य का सिरमोर कहा जाता है।

यह नृत्य केवल महिलाओं द्वारा किया जाता है।

घूमर के प्रकार:

  • झुमरियो – बालिकाओं का नृत्य
  • घूमर – स्त्रियों का नृत्य
  • लूर – गरासिया जनजाति की स्त्रियों का नृत्य

राज्य पशु

चिंकारा (वन्यजीव श्रेणी):

दर्जा मिला: 1981

वैज्ञानिक नाम: गंजेला बनेटी

एंटीलोप प्रजाति का प्राणी

ऊँट (पशुधन श्रेणी):

दर्जा मिला: 30 जून, 2014

वैज्ञानिक नाम: कैमेलस ड्रेमटेरियस

रेगिस्तान का जहाज कहलाता है

अन्य प्रतीक चिह्न

राज्य खेल: बास्केटबॉल (1948 से)

राज्य गीत: “केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारो देश”

राज्य कवि: सूर्यमल्ल मिश्रण

राज्य वाद्य: अलगोजा

राजस्थान दिवस: 30 मार्च

राजधानी: जयपुर

राजस्थान – भारत का गौरव, संस्कृति का धरोहर

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