सोडियम थायोसल्फेट तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की क्रिया की दर पर सांद्रता के प्रभाव का अध्ययन करनाा
उपकरण – 150 ml के पांच कोनीकल फ़लस्क, 10 ml का पिपेट, 50 mL का ब्यूरेट, विराम घडी, सफे्द टाइल
सामग्री तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, सोडियम थायोसल्फेट, आसवित जल तथा ग्राफ पेपर
सिदान्त तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा सोडियम थायोसल्फेट की अभिक्रिया को निम्न प्रकार से दर्शाया जा सकता हैा
अभिक्रिया की दर
जब कि अभिकारक की सांद्रता में मामूली परिवर्तन कुछ समय परिवर्तन के साथ दर्शाता हैा इस अभिक्रिया की अभिक्रिया दर दोनों अभिकारकों की सांद्रताओं पर निर्भर करती हैा अभिक्रिया में बना अधुलनशील सल्फर अभिक्रिया में धुंधलापन उत्पन्न करता हैा अत समय के साथ अभिक्रिया की दर में व़दिध मिश्रण में धुंधलापन बढने से स्पष्ट होता हैा
विधि
150 mL के पांचों कोनीकल फलास्क जल से धो कर उन पर क्रमश 1,2,3,4,5 लिखते हैं
ब्यूरेट की सहायता से 0.1 M Na2S2O3 विलयन के 10,20,30,40 mL क्रमश 1,2,3,4,5 फलास्क में डालते हैंा
अब ब्यूरेट की सहायता से आसवित जल डाल कर कुल आयतन 50 mL कर लेते हैंा
पिपेट द्वारा 10 ml HCl को 1 नम्बर वाले कोनिकल फलास्क में डालकर स्टोपवाच चालू कर कोनिकल फलास्क को हिलाकर टाइल के क्रॉस चिन्ह पर रख देते हैंा
मिश्रण को उपर से नीचे की ओर देखते हैं जब क्रॉस चिन्ह दिखना बन्द हो जाता है तो स्टॉप वाच को बन्द कर देते हैंा
यह समय सल्फर के अवक्षेपण के लिए आवश्यक हैा
इस प्रकार 10 ml 1M HCl के साथ अन्य फलास्क 2,3,4,5 के साथ दोहरा कर प्रत्येक के लिए समय ज्ञात करते हैंा
प्रेक्षण सारणी 1 M HCl का हर बार लिया गया आयतन = 10 mL
|
Na2S2O3 विलयन (mL) |
जल का आयतन (mL) |
विलयन का कुल आयतन |
Na2S2O3 विलयन की सान्द्रता (mL) |
क्रॉस के अस्पष्ट होने में लगा समय | |
|
10 |
40 |
50 |
60 |
t1=10 | |
|
2 |
20 |
30 |
50 |
50 |
t1=20 |
|
3 |
30 |
20 |
50 |
40 |
t1=30 |
|
4 |
40 |
10 |
50 |
30 |
t1=40 |
|
5 |
50 |
0 |
50 |
20 |
t1=50 |
ग्राफ खींचना
समय तथा Na2S2O3 की सान्द्रता के बीच ग्राफ खींचने के लिए समय को X-अक्ष तथा Na2S2O3 के आयतन को Y-अक्ष के अनुदिश लेते हैं और ग्राफ खींचते हैं ग्राफ यह दर्शाता है कि Na2S2O3 की सान्द्रता समय के साथ घटती हैा
सावधानियां
उपकरण पूर्णतया स्वच्छ होने चाहिएा
सफेद टाइल का प्रयोग करना चाहिए
सोडियम थायोसल्फेट विलयन में HCl डालते ही स्टॉप वाच चालू कर देनी चाहिएा
क्रॉस के चिन्ह को मिश्रण में उपर से देखना चाहिएा
सोडियम थायोसल्फेट तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की क्रिया की दर पर हाइड्रेाक्लोरिक अम्ल की सांद्रता के प्रभाव का अध्ययन करनाा
उपकरण – 150 ml के पांच कोनीकल फ़लस्क, 10 ml का पिपेट, 50 mL का ब्यूरेट, विराम घडी, सफे्द टाइल
सामग्री- तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, सोडियम थायोसल्फेट, आसवित जल तथा ग्राफ पेपर
सिदान्त– तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा सोडियम थायोसल्फेट की अभिक्रिया को निम्न प्रकार से दर्शाया जा सकता हैा
अभिक्रिया की दर
जब कि अभिकारक की सांद्रता में मामूली परिवर्तन कुछ समय परिवर्तन के साथ दर्शाता हैा इस अभिक्रिया की अभिक्रिया दर दोनों अभिकारकों की सांद्रताओं पर निर्भर करती हैा अभिक्रिया में बना अधुलनशील सल्फर अभिक्रिया में धुंधलापन उत्पन्न करता हैा अत समय के साथ अभिक्रिया की दर में व़दिध मिश्रण में धुंधलापन बढने से स्पष्ट होता हैा
विधि
150 mL के पांचों कोनीकल फलास्क जल से धो कर उन पर क्रमश 1,2,3,4,5 लिखते हैं
ब्यूरेट की सहायता से 10 mL Na2S2O3 विलयन के 10,20,30,40, mL क्रमश 1,2,3,4,5 फलास्क में डालते हैंा
अब ब्यूरेट की सहायता से आसवित जल डाल कर कुल आयतन 50 mL कर लेते हैंा
पिपेट द्वारा 10 mL HCl को 1 नम्बर वाले कोनिकल फलास्क में डालकर स्टोपवाच चालू कर कोनिकल फलास्क को हिलाकर टाइल के क्रॉस चिन्ह पर रख देते हैंा
मिश्रण को उपर से नीचे की ओर देखते हैं जब क्रॉस चिन्ह दिखना बन्द हो जाता है तो स्टॉप वाच को बन्द कर देते हैंा यह समय सल्फर के अवक्षेपण के लिए आवश्यक हैा
इस प्रकार 10 mL 1M HCl के साथ अन्य फलास्क 2,3,4,5 के साथ दोहरा कर प्रत्येक के लिए समय ज्ञात करते हैंा
प्रेक्षण सारणी 1M HCl का हर बार लिया गया आयतन = 10 mL
|
फलास्क क्रमांक |
HCl विलयन (mL) |
जल का आयतन (mL) |
विलयन का कुल आयतन |
HCl विलयन की सान्द्रता त्रउसऋ |
क्रॉस के अस्पष्ट होने में लगा समय |
1/t |
|
1 |
10 |
20 |
30 |
T = | ||
|
2 |
15 |
15 |
30 | |||
|
3 |
20 |
10 |
30 | |||
|
4 |
25 |
5 |
30 | |||
|
5 |
30 |
0 |
30 |
ग्राफ खींचना
1/t (-1में) तथा HCl के आयतन के बीच ग्राफ खींचने के लिए 1/t को X अक्ष तथा HCl के आयतन को Y अक्ष के अनुदिश लेते हैं और ग्राफ खींचते हैं
ग्राफ यह दर्शाता है कि सोडियम थायोसल्फेट की मात्रा को नियम रखते है परन्तु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की सान्द्रता बढाने पर अभिक्रिया की दर बढती हैा
उपकरण पूर्णतया स्वच्छ होने चाहिएा
सफेद टाइल का प्रयोग करना चाहिए
सोडियम थायोसल्फेट विलयन में भ्ब्स डालते ही स्टॉप वाच चालू कर देनी चाहिएा
क्रॉस के चिन्ह को मिश्रण में उपर से देखना चाहिएा
सोडियम थायोसल्फेट तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में अभिक्रिया दर पर ताप के प्रभाव का अध्ययन करनाा
उपकरण-150 मिली. के फ्लास्क 10 मिली, पिपेट, थर्मामीटर, तिपाया स्टैंड, तार की जाली, स्टॉप वाच, क्रॉस निशान वाली सफेद टाइल |
सामग्री – 0.1 M सोडियम थायोसल्फेट विलयन, 1 M हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, सांद HNO3 आसवित जल तथा ग्राफ पेपर।
सिद्धान्त- रासायनिक अभिक्रिया की दर पर्याप्त सीमा तक ताप की मात्रा पर निर्भर करती है। ताप बढ़ाने पर अभिक्रिया की दर बढ़ती है। प्रायः ताप में 10°C वृद्धि पर अभिक्रिया दर लगभग दोगुनी हो जाती है।
- 150 मिली. के कोनीकल फ्लास्क में 50 मिली. 0.1M सोडियम थायोसल्फेट लेते हैं तथा इसका ताप मापते हैं। माना यह 1°C है।
- इसमें 10 मिली. 1M HCI मिलाकर तुरंत स्टॉप वाच को चालू कर देते हैंा
- फ्लास्क के पदार्थों को 2-3 सेकण्ड के लिए धीरे-धीरे हिलाते हैं। इसे क्रॉस का निशान लगे टाइल पर रखते हैं।
- क्रॉस का निशान ऊपर से देखते हैं और निशान के ठीक अस्पष्ट होने तक का समय नोट करते हैं।
- फ्लास्क के पदार्थों को सिंक में फेंक देते हैं। फ्लास्क को पहले सांद्र HNO3 से और फिर जल से भलीभांति धोते हैं।
- 150 मिली. वाले कोनीकल फ्लास्क में 50 मिली. 0.1 M सोडियम थायोसल्फेट विलयन लेते हैं और फ्लास्क को तार की जाली पर रखकर पहले वाले प्रयोग से 10°C अधिक (t+10)°C ताप पर गर्म करते हैं।
- फ्लास्क को तिपाया स्टैंड से हटाकर इसमें IM HCI मिलाते हैं और तुरंत स्टॉप वाच चालू करते है।
- फ्लास्क के पदार्थों को 2-3 सेकण्ड तक धीरे-धीरे हिलाते हैं और क्रॉस निशान वाली सफेद टाइल पर रखते हैं।
- क्रॉस निशान के ठीक अस्पष्ट होते ही स्टॉप वाच बंद करके समय नोट करते हैं।
- यह प्रक्रिया (+20)°C, (t + 30)°C तथा ( + 40)°C ताप पर दोहराते हैं। क्रॉस अस्पष्ट होने में लगा समय नोट करते हैं।
- अपने प्रेक्षणों को दी गई सारणी के अनुसार नोट करते हैं।
प्रेक्षण
हर बार लिए गए 0. IM सोडियम थायोसल्फेट विलयन का आयतन = 50 मिली.
हर बार डाले गए IM HCI का आयतन = 10 मिली.
|
प्रयोग संख्या |
तापमान 0°C में |
क्रॉस के ठीक अस्पष्ट होने में लगा समय (सेकण्ड में) |
|
1 |
25°C |
T1 = 60 सेकण्ड |
|
2 |
35°C |
T2 = 50 सेकण्ड |
|
3 |
45°C |
T3 = 40 सेकण्ड |
|
4 |
55°C |
T4 = 30 सेकण्ड |
|
5 |
65°C |
T5 = 20 सेकण्ड |
ग्राफ खींचना-
X-अक्ष पर ताप, Y-अक्ष पर सेकण्ड में समय के बीच ग्राफ खींचते हैं।
परिणाम-
सोडियम थायोसल्फेट व हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के बीच अभिक्रिया की दर ताप बढ़ने के साथ बढ़ती है। सावधानियाँ
उपकरण पूर्णतया स्वच्छ होने चाहिएा
सफेद टाइल का प्रयोग करना चाहिए
सोडियम थायोसल्फेट विलयन में भ्ब्स डालते ही स्टॉप वाच चालू कर देनी चाहिएा
क्रॉस के चिन्ह को मिश्रण में उपर से देखना चाहिएा
प्रयोग
उद्देश्य- आयोडाइड आयनों की विभिन्न सांद्रताएं प्रयोग करते हुए, कमरे के ताप पर, हाइड्रोजन परॉक्साइड के साथ आयोडाइड आयन की अभिक्रिया दरों का अध्ययन करना।
उपकरण- 250 ml, कोनीकल फ्लास्क, 250ml, बीकर, विराम घड़ी, तापमापी, तथा 100 मिली के तीन मापन फ्लास्क ।
सामग्री 1 MH2SO40. MKI, IM Na.SO.. 30% HO, तथा 0.2% स्टॉर्च विलयन।
सिद्धान्त- हाइड्रोजन परॉक्साइड अम्लीय माध्यम में आयोडाइड आयन के साथ निम्न प्रकार अभिक्रिया करता है-
H2O2 (aw) + 2I- (aq) + 2H+ → I2 (aq) + 2H2O (I)
यह अभिक्रिया सोडियम थायोसल्फेट की ज्ञात मात्रा व 1% स्टॉर्च विलयन के 5 मिली. की उपस्थिति में होती है। इस अभिक्रिया में जैसे ही आयोडीन बनती है, वह थायोसल्फेट आयन के साथ क्रिया कर टैट्राथायानेट आयन तथा आयोडाइड आयन बनाती है।
I2(aq) + 2S2O32 (aq)→ S4O6 (aq) + 2I-
अभिक्रिया के पश्चात् बना कोई भी आयोडीन अब विलयन में उपस्थिति स्टार्च के साथ नीला रंग देगा। नीले रंग के ठीक उत्पन्न होने का समय नोट करते हैं।
I2(aq) + स्टार्च (aq) → स्टार्च – I2 संकर (aq)
विधि- (i) पहले तीन विलयन A, B तथा C निम्न प्रकार बनाते हैं-
विलयन A: 100ml मापन फ्लास्क में 30% H2O2 का 50 मिली. लेते हैं। इसमें पानी मिलाकर 100 मिली. तक तनु करते हैं। इसको 250 मिली. वाले बीकर में डालते हैं। इसमें तनु 100 मिली. 1M H2SO4 तथा 10 मिली. 2% स्टार्च विलयन डालते हैं। विलयन को हिलाकर व इसे सुरक्षित रखते हैं।
विलयन B : जल में 0.83 ग्राम ठोस पोटेशियम आयोडाइड घोलकर 100 मिली. 0.5M KI मिलाते हैं।
विलयन C : जल में 28.8 ग्राम सोडियम थायोसल्फेट क्रिस्टल घोलकर 1M Na2S2O3 का 100 मिली. विलयन बनाते हैं। इस विलयन से 50 मिली के धुले व रिन्स किए हुए ब्यूरेट को भरते हैं।
(ii) विलयन A के 20 मिली. को मापन सिलिंडर की सहायता से माप कर कोनीकल फ्लास्क में स्थानान्तरित करते हैं। विलयन B के 20 मिली. को दूसरे कोनीकल फ्लास्क में लेते हैं। इस फ्लास्क में विलयन C के 2 मिली डालते हैं। एक कोनीकल फ्लास्क के पदार्थ को दूसरे में बहुत तेजी से डालते हैं। अभिक्रिया मिश्रण को हिलाकर तुरंत विराम घड़ी आरंभ करते हैं। नीले रंग के प्रकट होने का समय नोट करते हैं।
(iii) ब्यूरेट को 50 मिली. आसुत जल से भरते हैं। अगले प्रयोग के लिए कोनीकल फ्लास्क में विलयन A की 20 मिली. लेते हैं। दूसरे कोनीकल फ्लास्क में विलयन B का 15 मिली. लेते हैं। इसमें ब्यूरेट से आसुत जल का 5 मिली डालते हैं और Na2S2O3 विलयन से भरे ब्यूरेट से 2 मिली डालते हैं। जल्दी से एक फ्लास्क के पदार्थों को दूसरे पलास्क के पदार्थों में डालकर भलीभांति मिलाते हैं और तुरंत विराम घड़ी चालू करते हैं। नीला रंग प्रकट होने पर समय tc नोट करते हैं।
(iv) इसी प्रकार तीन प्रयोग अवलोकन तालिका में दिए गए आयतनों को लेकर और करते हैं।
(v) 1/tc (से.-1) की गणना करते हैं और KI के प्रयुक्त आयतन (X-अक्ष पर) तथा 1/tc– से.’ (Y-अक्ष के साथ) के बीच ग्राफ खींचते हैं।
प्रेक्षण सारणी
|
फलास्क क्रमांक |
विलयन A का आयतन |
विलयन B का आयतन |
जल का आयतन |
विलयन C का आयतन |
नीला रंग दिखने तक लगा समय सेकण्ड में |
1/t(s-1) |
|
1 |
20 |
20 |
0 |
2 | ||
|
2 |
20 |
15 |
5 |
2 | ||
|
3 |
20 |
12 |
8 |
2 | ||
|
4 |
20 |
8 |
12 |
2 | ||
|
5 |
20 |
4 |
16 |
2 |
KI की सांद्रता कम करने पर अभिक्रिया की दर घटती है।
1/tc तथा KI के मध्य ग्राफ एक सरल रेखा होगी। यह दर्शाता है कि 1/tc जो अभिक्रिया की दर की माप है, बढ़ती है जब KI विलयन का आयतन बढ़ता है। अतः अभिक्रिया की दर KI सान्द्रता के समानुपाती होती है।
सावधानियाँ
- अभिक्रिया काल में क्रियाकारी मिश्रण को सावधानीपूर्वक धीरे-धीरे हिलाना चाहिए।
- कोनीकल फ्लास्क को जिसमें क्रियाकारी मिश्रण रखा है, को सफेद टाइल पर रखना चाहिए ताकि उत्पन्न नीला रंग सरलता से दिखाई दे सके।
उद्देश्य- स्टार्च विलयन को सूचक के रूप में प्रयोग करते हुए पोटेशियम आयोडेट (KIO) तथा सोडियम सल्फाइट की अभिक्रिया दर ज्ञात करना ।
उपकरण-250 मिली. धारिता के कोनीकल फ्लास्क तीन 50 मिली. की ब्यूरेट, दो 250 मिली, धारिता के मापक फ्लास्क मापक सिलिंडर, तुला, वेट-बॉक्स, विराम घड़ी आदि।
सामग्री-0.5 M H2SO4, KIO3, Na2S2O3. स्टार्च विलयन, आसवित जल, ग्राफ पेपर आदि ।
सिद्धान्त- संबंधित रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार हैं-
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इस अभिक्रिया में सल्फाइट आयनों का अम्लीय माध्यम में KIO3 के द्वारा ऑक्सीकरण होता है।
सोडियम सल्फाइट की आकलित मात्रा एक घोल में मिलाई जाती है जिसमें अधिक मात्रा में पोटेशियम आयोडेट उपस्थित है। आयोडेट आयन, IO3 सल्फाइट आयनों, SO3-2 को ऑक्सीकृत करते हैं जिससे आयोडाइड आयन, I- तथा सल्फेट आयन, SO42- बनते हैं। अब आयोडाइड आयन I – आयोडेट आयन द्वारा ऑक्सीकृत होकर आयोडीन देता है। यह आयोडीन सल्फाइट आयन. SO32- को सल्फेट, SO42- में ऑक्सीकृत करता है और प्रक्रिया में I2 स्वयं हो I- आयनों में अपचयित हो जाता है।
यह प्रक्रिया तब तक होती है जब तक कि पूरा सल्फाइट अभिकृत न हो जाए। इस अवस्था पर दोनों अभिक्रियाएँ (i) व (iii) रूक जाती है अभिक्रिया (ii) में बना आयोडीन स्टार्च के साथ अभिक्रिया करके नीला रंग देता है। यह एक क्लॉक अभिक्रिया है क्योंकि अभिक्रिया नीले रंग के अचानक प्रकट होने के कारण हो सकती है।
विधि
निम्न दो विलयनों को बनाते हैं और उन पर A व B लिखते हैं।
विलयन A-0.5 ग्राम KIO को लगभग 100 मिली., आसवित जल में घोलते हैं। 0.5M H2SO4 के 1.5 मिली. की इसमें डालते हैं। इसे मापक फ्लास्क में लेकर आयतन को आसवित जल डालकर 250 मिली बनाते हैं।
विलयन B : (0) 25 ग्राम सोडियम सल्फाइट को 100 मिली आसवित जल में घोलते हैं और आसवित डालकर 250 मिली. बनाते हैं।
ब्यूरेट को पानी से धोकर विलयन A से रिज करते हैं। इसमें विलयन A भरते हैं। फ्लास्क में विलयन A का 20 मिली. मापकर डालते है। दूसरे फ्लास्क में B का 10 मिली लेते हैं। स्टार्च विलयन का 10 मिली. इस फ्लास्क में डालते हैं। इस आयतन को मापने के लिए अंकित सिलिंडर प्रयोग करते हैं। एक कोनीकल फ्लास्क के पदार्थों को दूसरे में बहुत तेजी से उड़ेलते हैं। अभिक्रिया मिश्रण को हिलाते हैं और तुरंत विराम घड़ी चालू करते हैं। नीले रंग के प्रकट होने के समय को नोट करते हैं।
50 मिली. ब्यूरेट को आसवित जल से धोकर उसी से भर लेते हैं। स्वच्छ कोनीकल फ्लास्क में ब्यूरेट की सहायता से 15 मिली विलयन A लेते हैं। अब इसमें ब्यूरेट से 5 मिली आसवित जल डालते हैं। दूसरे कोनीकल फ्लास्क में B का 10 मिली लेते हैं। इस फ्लास्क में स्टार्च विलयन का 10 मिली. डालते हैं। एक कोनीकल फ्लास्क के पदार्थों को दूसरे में तेजी से उड़ेल देते हैं। मिश्रण को तेजी से हिलाकर तुरंत विराम घड़ी चालू करते हैं। नीले रंग केप्रकट होने का समय (1) नोट करते हैं।
(iv) दो और प्रयोग विलयनों के निम्न तालिका में दिए आयतनों को प्रयुक्त करके किए जा सकते हैं। (v) 1/t. (से 1) की गणना करते हैं और X- अक्ष में प्रयुक्त विलयन A (KIO3 + H2SO4) के आयतन और Y पर 1/4 के बीच ग्राफ खींचते हैं।
प्रेक्षण सारणी
|
फलास्क क्रमांक |
विलयन A का आयतन |
विलयन B का आयतन |
जल का आयतन |
स्टार्च का आयतन (mL) |
नीला रंग दिखने तक लगा समय सेकण्ड में |
1/t(s-1) |
|
1 |
20 |
10 |
0 |
10 | ||
|
2 |
15 |
10 |
5 |
10 | ||
|
3 |
10 |
10 |
10 |
10 | ||
|
4 |
5 |
10 |
15 |
10 |
परिणाम-
अम्लीय KIO3 विलयन की सांद्रता घटने के साथ अभिक्रिया की दर घट जाती है।
1/tc व अम्लीय KIO3विलयन के आयतन का ग्राफ सीधी रेखा होती है। यह दर्शाता है कि जैसे-जैसे अम्लीय KIO3 विलयन का आयतन बढ़ता है, 1/tc जो अभिक्रिया की दर का मापक है, बढ़ता जाता है। अतः अभिक्रिया की दर KIO3 की सांद्रता के समानुपाती होती है।
सावधानियां
सभी विलयन बनाने के लिए आसवित जल का प्रयोग करना चाहिए।
अभिक्रिया के दौरान मिश्रण को धीरे से हिलाना चाहिए।
अभिक्रिया मिश्रण वाले कोनीकल फ्लास्क को सफेद चमकदार टाइल पर रखना चाहिए ताकि नीला रंग आसानी से दिखाई दे सके।