अध्याय हैलो ऐल्केन तथा हैलोएरीन

प्र. हैलो ऐल्केन व हैलो एरीन में विभेद कीजिये

ऐलिफैटिक तथा ऐरोमैटिक हाइडोकार्बनों के हाइडोजन परमाणुओं का प्रतिस्थापन हैलोजन परमाणुओं द्वारा होने से बने यौगिकों को कृमशः हैलोऐल्केन तथा हैलोएरीन कहते हैं |

प्र.2 ऐलिलिक हैलाइड तथा वाइनिलिक हैलाइड का एक – एक उदाहरण दीजिये।

CH2=CH–CI (वाइनिल क्लोराइड) क्लोरोएथीन

CH2=CH–CH2-Cl (ऐलिल क्लोराइड) 3-क्लोरो-प्रोपइन

प्र.3 कारण बताइये – ऐल्कल हैलाइड प्राप्त करने के लिये थायोन्तिल क्लोराइड को प्राथमिकता दी जाती है।

थायोनिल क्लोराइड की अभिक्रिया ऐल्कोहॉल से करवाने पर ऐल्किल हैलाइड के साथ दो गैसें SO2 तथा HCl प्राप्त होती है तथा दोनों आसानी से निकल जाती हैं।

प्र.4 फिंकेल्स्टाइन अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिये ।

R- X + Nal → R- I + 4NaX

प्र.5 स्वार्ट्स अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिये ।

H3C-Br + AgF →H3C– F + AgBr

प्र. 6 सैन्डमायर अभिकिया का रासायुनिक समीकरण लिखिये।

एनिलिन् बेन्जीन डाईऐजोनियम हैलाइड

प्र. 7 कारण बताइये : ऐल्किल क्लोराइड, ऐल्किल ब्रोमाइड, ऐल्किल आयोडाइडों के क्वथनांक समान द्रव्यमान वाले हाइडोकार्बनों के क्वथनांकों से अधिक होते है-

उच्च धुवता और जनक हाइडोकार्बन की तुलना में उच्च आणविक द्रव्यमान होने के कारण हैलोजन व्युत्पन्नों में प्रबल अन्तराआणविक आकर्षण बल होते हैं। अतः इनके क्वथनांक संगत हाइडोकार्बन से अधिक होते हैं।

प्र. 8 क्वथनांकों के घटते कम में व्यवस्थित कीजिये –

R Br. R C1, RF, RI

RI > RBr > RCI > RF

प्र. 9 हैलोऐल्केन की जल में विलेयता बहुत कम होती है । क्यों ?

हैलोएल्केन को जल में घोलने के लिये उर्जा की आवश्यकता हौती है। जिससे कि हैलो ऐल्केन के अणुओं के मध्य उपस्थित आकर्षण को तथा जल के अणुओं के मध्य उपस्थित आकर्षण को तथा जल के अणुओं के मध्य हाइडोजन आबंध को, तौडा जा सके। हैलोऐल्केन तथा जल के अणुओं के मध्य नए आकर्षण बलों के बनने से कम उर्जा निर्गमित होती है। अतः हैलो ऐल्केन की जल में विलेयता कम होती है।

प्र. 10 किन्हीं दो उभयदन्ती नाभिकरागी स्पीशीज के उदाहरण दीजिये

C≡ N ↔C≡N साईनाईड आयन

O-N=0 नाइटाईट आयन

प्र. 11 SN1 वSN2 में कोई तीन अंतर बताइये ।

SN1

SN2

यह अभिक्रिया दौ पदों में होती है।

यह एक पद में होती है।

इसमें कार्बोकेटायन मध्यवती बनता है।

इसमें काल्पनिक संक्रमण अवस्था मानी जाती है।

यह प्रथम कोटि की अभिक्रिया है।

यह द्वितीय कोटि की अभिकिया है।

प्र. 12 बेन्जिलिक कार्बोकैटायन की अनुनादी संरचना बनाइये।

प्र. 14 बढती हुई क्रियाशीलता के कम में व्यवस्थत कीजिये।

RBr, RI, RCI, RF

RI > R- Br > R- CI > R- F

प्र. 16 ग्रीन्यार अभिकर्मक में उपस्थित विभिन्न बंधों को समझाइये।

ग्रीन्यार अभिकर्मक में कार्बन मैग्नीशियम बंध सह संयोजक आबन्ध होता है परन्तु विद्युतधनी मैग्नीशियम के इलेक्टॉन आकर्षित करने के कारण यह आबेन्ध अत्यधिक ध्रुवीय होता है। मैग्नीशियम तथा हैलोजन आबंध आवश्यक रूप से आयन्िक होता ळें

प्र 17 वुर्टज अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण दीजिये।

शुष्क ईथर

2RX +2Na RR + 2NaX

प्र 18 क्लोरोबेन्जीन की अनुनादी संरचना बनाइये।

प्र 19 कारण दीज़िए – ऐरिल हैलाझड नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया के प्रति कम क्रियाशील होते हैं।

  1. अनुनाद प्रभाव- अनुनाद के कारण C-CI आबंध में आंशिक द्विबंध के गुण आ जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप हैलोएल्केन की तुलना में हैलोएरीन में आबंध विदलन अपेक्षाकृत कम होता है।

(b) हैलोएरीन में अधिक S गुणयुक्त Sp° संकरित कार्बन अधिक विद्युत ऋणात्मक होता है। अतः C-X आबंध के इलेक्टॉन युगल को अपेक्षाकृत अधिक सुदृढता से थाम सकता है ।

स फेनिल धनायन अनुनाद के द्वारा स्थायी नहीं हो पाए”

प्र 20 फीडेल काफट अभिक्िया का रासायनिक समीकरण लि ै ।

प्र 21 बुर्टज-फिटिंग-अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिये

प्र 22 फिटिग अभिकिया का रासायनिक समीकरण लिखिये ।

प्र 23 फेऑन किसे कहते हैं ?

मेथेन व एथेन के क्लोरोफलुओरो व्युत्पन्न संयुक्त रूप से फेऑन कहलाते हैं।

प्र 24 DDT का पूरा नामं व संरचना बताइये।

डाइक्लोरो डाइफेनिल टाइक्लोरो एथेन

प्र 26 ध्रुवण घूर्णक यौगिके किसे कहते हैं ?

कुछ यौगिकों के विलयत में से समतल ध्ुवित प्रकाश गुजारे जाने पर यह इस प्रकाश के तल को घूर्णित कर देते हैं। इस प्रकार के यौगिकों को ध्रुवण घूर्णक यौगिक कहते हैं।

प्र 27 काइरलता किसे कहते हैं ?

वे वस्तुएं जो अपने दर्पण प्रतिबिंब पर अध्यारोपित नहीं होती काइरल कहलाती हैं तथा इस गुण को काइरलता कहते हैं । उदाहरण : अपने हाथ का दर्पण प्रतिबिंब

प्र 28 रेसिमीकरण किसे कहते हैं ?

असममित कार्बन से जुडे बंध के टूटने पर प्राप्त दोनों यौगिक (जिसमें विन्यास सुरक्षित रहता है व विन्यास का प्रतिलोमन होता है) दोनों यौगिक 50 : 50 अनुपात में प्राप्त होते हैं तो इस प्रकरिया को रेसिमीकरण कहते है।

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